गौरी लंकेश मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से कहा- आदेश से प्रभावित हुए बिना जमानत याचिका पर करें फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है कि वह कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के एक आरोपी के खिलाफ आरोप खारिज करने के आदेश से प्रभावित हुए बिना उसकी जमानत याचिका पर फैसला करे। गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश ने एक याचिका दायर की है, जिसमें आरोपी मोहन नायक के खिलाफ संगठित अपराध के आरोपों को खारिज किए जाने को चुनौती दी गई है। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कर्नाटक सरकार से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अगुवाई वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कर्नाटक सरकार और अन्य को नोटिस जारी किए तथा उनसे उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर कविता की याचिका पर अपना जवाब देने को कहा। न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस भी इस पीठ का हिस्सा थे।

पीठ ने कहा कि अंतरिम राहत का अनुरोध करने और विशेष अनुमति याचिका दायर करने की अनुमति मांगने वाले प्रार्थियों को नोटिस जारी किए जाएं। उसने कहा, ”प्रतिवादी संख्या छह के वकील की दलीलें सुनने के बाद हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय के समक्ष दायर प्रतिवादी संख्या छह की याचिका पर उस फैसले से प्रभावित हुए बिना निर्णय लिया जाए, जिसे चुनौती दी गई है।

न्यायालय ने मामले की सुनवाई 15 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी। कविता की याचिका के अनुसार, नायक ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले के आधार पर जमानत का अनुरोध किया है, जिसके तहत 22 अप्रैल को उसके खिलाफ आरोपों को खारिज कर दिया गया था। कविता के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने खुलासा किया था कि नायक उस गिरोह का हिस्सा था, जो संगठित अपराध के कई मामलों में शामिल था।वामपंथी विचारधारा वाली कार्यकर्ता एवं पत्रकार गौरी लंकेश की बेंगलुरु में उनके घर के बाहर पांच सितंबर 2017 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

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