देश में बने IPMS सॉफ्टवेयर से दिल्ली मेट्रो के फेज़-IV का कार्य डिजिटल तरीके से किया जाएगा मॉनिटर

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देश में बने इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर (IPMS) के माध्यम से दिल्ली मेट्रो के फेज़-IV का कार्य डिजिटल तरीके से मॉनिटर किया जाएगा। जिसके माध्यम से साइट पर होने वाली वास्तविक कार्य प्रगति को रियल टाइम बेसिस पर आईपीएमएस में अपलोड किया जा सकता है।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने अपने कार्यों को डिजिटलाइज करने की एक बड़ी पहल के रूप में इंटीग्रेटेड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर (IPMS) कहे जाने वाले एक कस्टम-मेड प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर को कार्यान्वित किया है ताकि डीएमआरसी अपने फेज़-4 के कॉरिडोर तथा पटना मेट्रो के कार्यों की प्रगति को मॉनिटर कर सके।

आईपीएमएस के माध्यम से, प्रोजेक्ट प्लानिंग के सभी चरणों तथा ठीक निविदा के चरण से लेकर प्रत्येक कॉरिडोर के रेवेन्यू ऑपरेशन तक के चरण की मॉनिटरिंग के साथ वर्क फ्रंट की उपलब्धता संबंधी मुद्दों जैसे भूमि की उपलब्धता, वृक्षारोपण तथा सेवाओं की शिफ्टिंग और डिजाइन के स्टेटस की मॉनिटरिंग भी की जा सके। इस उद्देश्य से, कॉरिडोर-वार मास्टर कंस्ट्रक्शन शेड्यूल तैयार करके उसे आईपीएमएस पर अपलोड किया जा चुका है।

आईपीएमएस में अन्य कंस्ट्रक्शन संबंधी सॉफ्टवेयरों जैसे, प्रोजेक्ट प्लानिंग के लिए प्राइमावेरा शेड्यूल्स और 3डी बीआईएम (थ्री-डाइमेंशनल बिल्डिंग इन्फोर्मेशन मॉडलिंग) और एक मोबाइल ऐप के इंटीग्रेशन की विशेषता है, जिनके माध्यम से साइट पर होने वाली वास्तविक कार्य प्रगति को रियल टाइम बेसिस पर आईपीएमएस में अपलोड किया जा सकता है।

आईपीएमएस प्रत्येक क्षेत्र – सिविल, इलेक्ट्रिकल एवं मैकेनिकल तथा सिगनल एवं दूरसंचार के संविदा पैकेज-वार कार्यों की प्रगति को मुख्य परियोजना प्रबंधक और परियोजना प्रबंधक के स्तर पर तथा निदेशक और प्रबंध निदेशक के स्तर पर कॉरिडोर-वार मॉनिटर करेगा।
विशेष तौर पर डिजाइन किए गए डैशबोर्ड और एक मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्रबंधन के शीर्ष स्तर से लेकर जूनियर इंजीनियर के स्तर तक रोल बेस्ड एक्सेस की व्यवस्था की गई है।

प्रोजेक्ट की प्रगति डैशबोर्डों के साथ ही साथ 3डी मॉडल्स में भी देखी जा सकती है। यह सॉफ्टवेयर इस वर्ष अप्रैल में लांच किया गया था, जिसका इस्तेमाल सौंपे जा चुके तथा जारी कांट्रेक्ट पैकेजों की प्रगति की मॉनिटरिंग के लिए किया जा रहा है। चूंकि कार्य क्रमिक रूप से सौंपे जाते हैं, उन्हें आईपीएमएस में शामिल किया जाता है।

फेज़-3 तक, डीएमआरसी की प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग का कार्य ऑफलाइन किया जा रहा था। इस नई प्रौद्योगिकी के क्रियान्वयन से, डीएमआरसी के इंजीनियर अब इस डेडीकेटेड प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्य की प्रगति पर नज़र रख सकते हैं। विशेष तौर पर डिजाइन किए गए डैशबोर्डों से कंस्ट्रक्शन के समस्त प्रमुख कार्यों की प्रगति को देखा जा सकेगा तथा केवल एक बटन दबाकर उनकी स्थिति की जांच की जा सकेगी।

इस सॉफ्टवेयर के क्रियान्वयन से प्रोजेक्ट की चौबीसों घंटे आसानी से मॉनिटरिंग की जा सकेगी, क्योंकि आईपीएमएस पोर्टल को कहीं से भी मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर आदि से एक्सेस किया जा सकता है। इससे रिकॉर्ड कीपिंग तथा इंजीनियरों के बीच जानकारी को साझा करना भी बेहतर होगा। डीएमआरसी का वेंडर पेमेंट पोर्टल, जिसमें वेंडरों को किए जाने वाले भुगतानों की समस्त अपेक्षित जानकारी होती है, को भी आने वाले समय में इस प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा।

डीएमआरसी की यह परियोजना सरकार के डिजिटल इंडिया के साथ ही साथ आत्मनिर्भर भारत जैसे प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। भारत की तीन कंपनियों के एक संघ को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है और भारतीय इंजीनियरों द्वारा यह सॉफ्टवेयर अपने ही देश में विकसित किया गया है।

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