पेगासस जसूसी कांड: इजराइल के साथ 2017 डील की होगी जांच? सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दायर

0 79

एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के कथित इस्तेमाल पर न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट पर संज्ञान लेने की मांग की है।

संसद के बजट सत्र के शुरू होने के कुछ ही दिन पहले, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने 2017 में इजराइल के साथ 2 बिलियन डॉलर के रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में पेगासस स्नूपिंग टूल खरीदा था। इस रिपोर्ट के साथ ही विपक्ष द्वारा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर अवैध जासूसी में लिप्त होने के कारण “देशद्रोह” जैसे आरोप लगाने के साथ एक बड़ा विवाद शुरू हो गया।

विपक्ष ने सोमवार से शुरू हो रहे आगामी सत्र में इस मुद्दे को उठाने का फैसला किया है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में मूल याचिकाकर्ताओं में से एक वकील एमएल शर्मा ने शीर्ष अदालत के समक्ष याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि सौदे को संसद ने मंजूरी नहीं दी थी और इसलिए इसे रद्द करने और पैसा वसूल करने की जरूरत है। उन्होंने शीर्ष अदालत से एक आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए उपयुक्त निर्देश जारी करने और पेगासस स्पाइवेयर खरीद सौदे और न्याय के हित में सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग की जांच करने का आग्रह किया।

रिपोर्ट में किया गया था चौंकाने वाला दावा

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस और एक मिसाइल प्रणाली भारत-इजराइल के बीच 2017 में हुए लगभग दो अरब डॉलर के हथियार एवं खुफिया उपकरण सौदे के ”केंद्र बिंदु” थे। ‘द बैटल फॉर द वर्ल्ड्स मोस्ट पावरफुल साइबरवेपन’ शीर्षक से अपनी रिपोर्ट में, NYT ने कहा कि इजरायली फर्म NSO ग्रुप लगभग एक दशक से “अपने निगरानी सॉफ्टवेयर को दुनिया भर में कानून-प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों को सदस्यता के आधार पर बेच रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने गठित किया था पैनल

एनएसओ का दावा है कि उसका सॉफ्टवेयर वह कर सब सकता है जो कोई और नहीं कर सकता – न ही कोई निजी कंपनी, यहां तक ​​कि राज्य की खुफिया सेवा भी नहीं कर सकती है। कंपनी कहती है कि, “किसी भी आईफोन या एंड्रॉइड स्मार्टफोन के एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन को लगातार और विश्वसनीय रूप से क्रैक कर सकती है।” पिछले साल 27 अक्टूबर को, शीर्ष अदालत ने भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए पेगासस के कथित उपयोग की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का एक तीन सदस्यीय पैनल नियुक्त किया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केवल “राष्ट्रीय सुरक्षा” का उल्‍लेख करने भर से राज्य को फ्री पास नहीं मिलेगा।

Leave A Reply

Your email address will not be published.