अग्निपथ के विरोध की अग्नि से जले विपक्ष की उम्मीदों के चिराग, सरकार पर तेज किए हमले; स्कीम वापस लेने की मांग
अग्निपथ योजना के विरोध की आंच लगभग पूरे देश में पहुंच गई है। बिहार से हरियाणा तक कई जगहों पर वाहनों को आग लगा दी गई तो कहीं सार्वजनिक संपत्ति के साथ तोड़-फोड़ हुई।
यह विरोध एक आंदोलन का रूप लेता जा रहा है ऐसे में विपक्ष को भी सरकार को घेरने का अच्छा मौका मिल गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीएम मोदी से कहा कि उन्हें बेरोजगार युवकों की आवाज सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को युवाओं की अग्निपरीक्षा नहीं लेनी चाहिए। वहीं समाजवादी पार्टी के अखिलेश य़ादव ने कहा कि यह कदम देश के भविष्य के लिए खतरनाक है।
बिहार में ट्रेन में आग लगा दी गई, बसों के शीशे तोड़ दिए गए और भाजपा विधायक पर भी पत्थरबाजी हुई। वहीं हरियाणा के गुरुग्राम, रेवाड़ी और पलवल में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। उत्तर प्रदेश के बुलंदशह और बलिया में युवा विरोध करने सड़क पर उतर आए।
विपक्ष कर रहा योजना की वापसी की मांग
इस विरोध प्रदर्शन के बीच सरकार के सूत्रों का कहना है कि सेना के रेजिमेंटल सिस्टम में कोई परिवर्त नहीं किया जा रहा है और पहले साल में इस योजना के तहत जितनी भर्तियां होंगी वह कुल सैनिकों की केवल तीन फीसदी होगी। एक तरफ सरकार इस योजना के फायदे गिना रही है तो दूसरी तरफ विपक्ष इसे वापस लेने की मांग कर रहा है।
राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, न कोई रैंक, न कोई पेंशन, न 2 साल से कोई direct भर्ती , न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य , न सरकार का सेना के प्रति सम्मान। देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे ‘अग्निपथ’ पर चला कर इनके संयम की ‘अग्निपरीक्षा’ मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा कि जो लोग सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं उनकी आँखों में कई सपने हैं। सेना में भर्ती की नई योजना उन्हें क्या देगी? चार साल के बाद रोजगार की गारंटी नहीं, पेंशन की सुविधा नहीं, नो रैंक, नो पेंशन। नरेंद्र मोदी जी आप इस तरह युवाओं के सपने नहीं कुचल सकते।
भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी अग्निपथ योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसे युवाओं में असंतोष पैदा होगा। उन्होंने कहा है कि सरकार को पूरा रुख साफ करना चाहिए। वहीं वाम दलों ने मांग की है कि इस योजना को वापस लेना चाहिए और इस पर संसद में चर्चा होनी चाहिए। उनका कहना है कि देश के हित के मामले में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
वामदलों ने कहा, वापस होनी चाहिए स्कीम
CPI (M) महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर सेना में भर्ती करके एक प्रोफेशनल सशस्त्र बल नहीं तैयार किया जा सकता। यह स्कीम केवल पेंशन बचाने के लिए लाई गई है जिससे हमारी फौज की क्वालिटी सेभी समझौता करना होगा। वहीं सीपीआई के महासचिव डी राजा ने कहा, नौकरी पाना सच में अग्निपथ जैसा हो गया है। इस योजना से देश के युवाओं का भविष्य खऱाब हो जाएगा। इसे तत्काल वापस लेना चाहिए. युवाओं को पूर्णकालिक रोजगार मिलना चाहिए।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से अपील की है कि युवाओं को पूरी जिंदगी सेना में काम करने का मौका देना चाहिए, न कि केवल चार साल। बीएसपी चीफ मायावती ने भी इस योजना को गलत बताते हुए कहा कि यह युवाओं के साथ नाइंसाफी है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।