तीन शुभ योगों में बंधेगा रक्षा सूत्र, इस समय रहेगी भद्रा, भद्रा में न बांधे राखी

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भारतीय अध्यात्म ने समाज के प्रत्येक वर्ग को सम्बन्धों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत से अवसर और उपाय दिए हैं। इन्ही में से एक है,‘रक्षा बंधन’ पर्व। रविवार 22 तारीख को श्रावण मास की पूर्णिमा है, इसी दिन रक्षाबंधन मनाया जाता है।

इस दिन प्रात:कालीन शोभन, मातंग और सर्वार्थ सिद्धि योग होने से श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा का यह पर्व एक बहुत ही शुभ योग बन गया है। मध्यान्ह में वृश्चिक लग्न में दोपहर 12.00 बजे से 2.12 बजे तक और कुंभ लग्न में सायंकाल 6.06 बजे से 7.40 बजे तक का रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त है। 22 तारीख को प्रात: 6.16 बजे तक भद्रा की उपस्थिति है। इस कारण प्रात: 6.16 बजे तक रक्षा सूत्र नहीं बांध सकेंगे।

पद्म पुराण में कई कथाएं इस पर्व से जुड़ी हैं। एक कथा विष्णु भगवान के वामन अवतार और राजा बली की भी है। इस कथा में वर्णन है कि इस अवतार में भगवान विष्णु राजा बली की कर्तव्यपरायणता से प्रसन्न होकर स्वेच्छा से उनके द्वारपाल बनकर पाताल लोक चले जाते हैं। तब मां लक्ष्मी राजा बली को श्रावण पूर्णिमा को भाई के रूप में रक्षा सूत्र बांधती हैं और अपने पति विष्णु को वापस लेकर आ जाती हैं। शिशुपाल का वध करते समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई, तो द्रौपदी ने रक्त रोकने के लिएसाड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी। यह भी श्रावण मास की पूर्णिमा थी।

पूजा में इस दिन भाई को पूर्व मुख करके बैठाएं तथा खुद पश्चिम की ओर मुख कर, जल शुद्धि करके भाई को रोली और अक्षत का तिलक लगा कर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए रक्षासूत्र बांधें -येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वां प्रतिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल:।। उसके बाद भाई की आरती उतार कर मिष्ठान्न खिलाएं। इस दिन सभी ज्ञानवान और आदरणीय जनों को आप रक्षा सूत्र बांध सकते हैं। छोटे बच्चों के लिए यह दिन विद्यारम्भ का भी माना जाता है।

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