क्या रोजाना शारीरिक संबंध बनाने से पुरुषों में घट सकता है स्पर्म काउंट, जानें क्या है सच्चाई

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पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं की कमी के कारण ही उसकी महिला साथी के गर्भवती होने की संभावना को कम करता है। सेक्स मनुष्य जीवन का एक हिस्सा है।

सेक्सुअल इंटरकोर्स के जरिये ही बच्चे का जन्म होता है। पुरुष के स्पर्म यानी वीर्य में मौजूद शुक्राणु की काफी अहमियत होती है, क्योंकि सेक्स के दौरन यही फीमेल एग्स के साथ मिलकर गर्भ में बच्चे को तैयार करते हैं। लेकिन आजकल पुरुषों की प्रजनन क्षमता धीमी हो जाती है, जिसके कारण महिला को बच्चा कंसीव करने में समस्या आती है।

लेकिन अगर आप लगातार शारीरिक संबंध बनाते हैं तो इससे पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होता है और उनमें इन्फर्टिलिटी बढ़ती है। इसके अलावा ऐसा भी सुनने को मिलता है कि बहुत ज्यादा सेक्स करने से शारीरिक कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं भी आती हैं। लेकिन हम आपको बता दें कि सेक्स से जुड़े ये वो मिथक हैं जिनमें कोई सच्चाई नहीं है। तो आखिर क्या सच है? चलिए, सच के बारे में भी जान लेते हैं।

प्रजजन क्षमता पर असर: दरअसल हमारे शरीर को फ्रेश स्पर्म बनाने के लिए 24 से 36 घंटे लगते हैं। लगातार शारीरिक संबंध बनाने से स्पर्म काउंट कम तो होते हैं लेकिन उसके बाद जो फ्रेश स्पर्म बनते हैं उनमें गतिशीलता ज्यादा होती है और इनकी वजह से प्रजनन पर अच्छा असर पड़ता है। ताजे स्पर्म ज्यादा जीवंत, गतिशील और प्रजनन क्षमता को बढ़ाने वाले होते हैं।

इसलिए अगर शरीर में ज्यादा समय तक स्पर्म स्टोर रहते हैं तो यह कम प्रजनन क्षमता का भी कारण बनते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इनफ्रिक्वेंट यानी कि कभी-कभी स्खलित होना पुरुषों में फर्टिलिटी के खतरे को बढ़ा सकता है और एक व्यक्ति बिना स्खलित हुए ज्यादा से ज्यादा 7 दिनों तक रह सकता है।

डर को कहें न: हर 2-3 दिन में शारीरिक संबंध बनाना आपके लिए सही हो सकता है। यदि आप पिता बनना चाहते हैं तो इस वक्त अंडों के लिए फ्रेश स्पर्म उपलब्ध होते हैं और आपके साथी को गर्भवती होने की अधिक संभावना होती है। इसलिए यदि आप इस बात से डरे हुए हैं कि रोजाना इंटरकोर्स करने से आपकी प्रजनन क्षमता को नुकसान पहुंच सकता है और आपके स्पर्म काउंट को निचले स्तर पर ले जा सकता है, तो निश्चिन्त रहिये।

डीएनए को नुकसान: विशेषज्ञों का तो इतना कहना है कि शरीर में ज्यादा दिनों तक स्पर्म के रहने से डीएनए को भी नुकसान पहुंच सकता है। स्पर्म खुलेपन और हीट के प्रति काफी सेंसिटिव होते हैं और जब लंबे समय के बाद रिलीज किए जाते हैं तो उनकी गतिशीलता हीट और रेडिएशन से प्रभावित हुई रहती है जो पुरुषों को नपुंसकता का शिकार बनाने में मदद करती है।

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