हिमाचल में तबाही का दौर, 327 मौत, 7,482 करोड़ का नुकसान; शिवबावड़ी से 14 शव निकाले
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के चलते तबाही का दौर जारी है. राजधानी शिमला समेत प्रदेश के कई हिस्सों में राहत और बचाव कार्य जारी है.
14 अगस्त की सुबह शिमला के समरहिल के साथ लगते शिवबावड़ी इलाके में हुए भीषण भूस्खलन के बाद रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन लगातार जारी है. वीरवार की सुबह एक और शव बरामद किया गया है. इसके साथ ही अब तक यहां से 14 शव निकाले गए हैं. प्रशासन को आशंका है कि अभी कुछ और शव वहां दबे हो सकते हैं.
हिमालय की गोद में तबाही का आलम
हिमाचल प्रदेश में इस साल मानसून ने ऐसे तीखे तेवर दिखाए कि पूरा पर्वतीय प्रदेश इसकी चपेट में आ गया
राज्य आपदा प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार इस मॉनसून सीजन में 24 जून से 16 अगस्त को दोपहर तक प्रदेश में 327 लोगों की मौत हो चुकी है.
मृतकों के अलावा प्रदेशभर में 38 लोग अभी भी लापता हैं.
इस आपदा से हिमाचल प्रदेश को लगभग 7,482 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है.
आपदा में प्रदेश में 1,762 घर जमींदोज हो गए हैं और 8,952 मकानों को नुकसान पहुंचा है.
292 दुकानों और 3909 गौशालाएं ढह गई हैं.
मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में कुछ और दिनों तक ऐसा ही मौसम रह सकता है, जिससे नुकसान के बढ़ने की संभावना है.
राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
शिमला समेत प्रदेश के अन्य जिलों में हुए नुकसान को देखते हुए राज्य सरकार के साथ-साथ माकपा ने भी केंद्र से इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है. शिमला के पूर्व मेयर और माकपा के वरिष्ठ नेता संजय चौहान ने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा घोषित कर हिमाचल को तुरंत 10 हजार करोड़ रू. की राहत राशि जारी करे, अगर इतनी मदद नहीं मिली तो हिमाचल 30 साल पीछे चला जाएगा. उन्होंने कहा कि अवैज्ञानिक और बिना योजना के निर्माण से शिमला समेत प्रदेश के अन्य स्थानों पर भीषण नुकसान हुआ है. चौहान ने यह भी कहा है कि ऐसी आपदा के लिए जलवायु परिवर्तन भी जिम्मेदार है. शिमला की प्लानिंग को लेकर उन्होंने कहा कि इस शहर के लिए अंग्रेजों की बनाई योजना को दरकिनार करना सही नहीं है.