Election Results 2023: लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी बड़ा मुकाबला, इन 4M की होगी परख

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एग्जिट पोल के अनुमानों ने कुछ उलटफेर करके विधानसभा चुनाव के नतीजों (Assembly Election Result 2023) एक रोचक माहौल बना दिया है.

यह सच है कि अतीत में काफी एग्जिट पोल अपनी छाप छोड़ने में असफल रहे हैं. लेकिन जब उनके अनुमानों को जुटाया जाता है, तो वे मतदाताओं के बीच प्रचलित मूड का अंदाजा देने में काफी मददगार रहे हैं. इसलिए ताजा गणित से पता चलता है कि कांग्रेस (Congress) की क्लीन स्वीप करने की उम्मीदों को झटका लग सकता है. ज्यादातर सर्वे से पता चलता है कि कांग्रेस हिंदी भाषी राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश में पिछड़ सकती है. यहां तक कि छत्तीसगढ़ में भी, जहां कांग्रेस इस समय बहुत प्रभावी है, भाजपा (BJP) की बढ़त के कारण उसे कड़ी चुनौती मिलेगी.

सौभाग्य से कांग्रेस के लिए एग्जिट पोल से साफ है कि तेलंगाना में मतदाता उसके प्रति अधिक उदार रुख रखते हैं. उम्मीद है कि कांग्रेस को केसीआर की भारत राष्ट्र समिति (BRS) पर अच्छी जीत मिल जाएगी. इस स्तर पर 2024 के लोकसभा चुनावों से लगभग पांच महीने पहले भाजपा कांग्रेस के बराबर 2-2 राज्यों में जीत हासिल करने से खुश होगी. बीजेपी मध्य प्रदेश में मुश्किल में दिखी है, जहां वह 17 साल से सत्ता में है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रिकॉर्ड खराब बताया जाता रहा है. चौहान 2018 में कांग्रेस के कमल नाथ से चुनाव हार गए थे.

MP-राजस्थान में टक्कर

चौहान के सीएम के पद पर बने रहने के पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके विधायकों की मंडली का दलबलद जिम्मेदार है. जो 2019 में कमलनाथ सरकार को गिराकर कांग्रेस से भाजपा में चले गए थे. दलबदल से भाजपा को चौहान के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए जरूरी अतिरिक्त सीटें मिल गईं. पड़ोसी राज्य राजस्थान में भाजपा लंबे समय से नेतृत्वहीन रही है और गुटबाजी से त्रस्त है. एक मजबूत भाजपा चुनौती के अभाव में, अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए तैयार दिख रही थी. अगर ऐसा होता है, तो यह मतदाताओं द्वारा हर पांच साल में सत्ताधारियों को सत्ता से बाहर करने की लगभग तीन दशक पुरानी प्रवृत्ति को तोड़ देगा.

पीएम मोदी पर बीजेपी को भरोसा

बहरहाल भाजपा के सबसे भरोसेमंद चेहरे नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और मास्टर रणनीतिकार अमित शाह के साहसिक दांव ने दोनों राज्यों में भाजपा कैडर को उत्साहित कर दिया है. एग्जिट पोल के अनुमानों से लगता है कि यह रणनीति काम कर गई होगी. यह चुनाव 4एम की रणनीति के परीक्षण का एक मौका है. जिसे पार्टियां 2024 में ग्रैंड फिनाले के लिए लागू करने की योजना बना रही हैं. सबसे पहला M1 मोदी फैक्टर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने नाम पर वोट मांगने और भाजपा के किसी को भी सीएम चेहरे के तौर पर पेश नहीं करने से यह चुनाव ब्रांड मोदी की विश्वसनीयता पर जनमत संग्रह में बदल गया है.

ओबीसी पर सबने खेला दांव

एम2 या मंडल (ओबीसी) कार्ड के तहत विपक्ष जाति जनगणना का वादा करके वोट हासिल करने पर भारी भरोसा कर रहा है. एम3 या महिला वोट हासिल करने की रणनीति पर दोनों पार्टियों का जोर है. महिला मतदाताओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में 18.3 लाख महिला मतदाताओं ने मतदान किया, जो पिछली बार से 2 फीसदी अधिक है. राजस्थान में भी उन्होंने पुरुषों को मतदान में पछाड़ दिया है. अंतिम M4 भाजपा की बहुसंख्यकों को एकजुट करने की रणनीति है. प्रधानमंत्री मोदी की ‘हिंदू हृदय सम्राट’ छवि से बीजेपी को जबरदस्त फायदा हुआ है.

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