Chhath Puja 2024: क्यों की जाती है छठ की पूजा? इन चीजों के बिना अधूरा है पर्व, यहां है सामग्री की पूरी जानकारी

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7 नवंबर 2023, गुरुवार से छठ महापर्व का आरंभ हो रहा है. यह पर्व विशेष रूप से संतान प्राप्ति और उनके स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है.

चार दिवसीय छठ पर्व में व्रतधारी पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ सूर्य देव और छठी मैया की आराधना करते हैं. इस पावन पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, इसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य, और उषा अर्घ्य के साथ यह पर्व संपन्न होता है. छठ पूजा के दौरान उपयोग में लाई जाने वाली सामग्रियों का विशेष महत्व है, जिससे पूजा संपूर्ण होती है.

आइए जानते हैं छठ पूजा के लिए आवश्यक सामग्रियों की सूची, जिनके बिना इस पवित्र अनुष्ठान की कल्पना अधूरी है:

1. पूजन सामग्री: थाली, तांबे का लोटा, गिलास, दूध का लोटा, शुद्ध जल, नारियल, सिंदूर, कपूर, कुमकुम, अक्षत के लिए चावल, और चन्दन.

2. भोग सामग्री: ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पूड़ी, खजूर, सूजी का हलवा, और चावल के लड्डू. ये प्रसाद के रूप में विशेष स्थान रखते हैं और भक्तजन उसे खुद तैयार करते हैं.

3. प्रसाद के लिए बांस की 3 टोकरी और 3 सूप: इन टोकरी और सूप का उपयोग प्रसाद के वितरण में किया जाता है. इनका विशेष धार्मिक महत्व है और इनसे छठी मैया को भोग अर्पण किया जाता है.

4. फल-सब्जियां: सेब, सिंघाड़ा, मूली, नाशपाती, शकरकंदी, और गन्ना (पत्तों के साथ) जैसे फल एवं सब्जियां इस पूजा का अभिन्न हिस्सा हैं. केले का पूरा गुच्छा खासतौर पर अनिवार्य होता है.

5. अन्य सामग्री: साड़ी-कुर्ता पजामा (व्रतधारी के लिए परिधान), हल्दी का हरा पौधा, अदरक, डगरा, कैराव, पान, सुपारी, और शहद की डिब्बी भी पूजा सामग्री में शामिल होती है.

छठ पूजा में विभिन्न सामग्रियों का उपयोग धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ही होता है. हर वस्तु का अपना विशेष अर्थ और महत्व है.

इस पर्व के दौरान महिलाएं और पुरुष निर्जल व्रत रखते हैं, जो उनकी अटूट श्रद्धा और समर्पण को दर्शाता है. व्रतधारी सूर्य देव और छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए पूरी निष्ठा से हर पूजन सामग्री का चुनाव करते हैं और उन्हें अर्पण करते हैं.

इस प्रकार, छठ पूजा की प्रत्येक सामग्री अपने आप में इस पर्व की संपूर्णता को दर्शाती है. इसलिए, छठ महापर्व के अवसर पर हर व्रतधारी को अपनी पूजा सामग्री की सूची तैयार कर लेनी चाहिए ताकि पूजन में किसी चीज की कमी न हो और उनकी श्रद्धा व संकल्प पूर्ण रूप से समर्पित हो सके.

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