आज गणेश चतुर्थी पर 59 वर्षों बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग, सूर्य, बुध समेत चार स्वयं की राशि में
सर्व सिद्धि देने वाले प्रथम पूजन योग्य गणपति के जन्मोत्सव का त्योहार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चित्रा नक्षत्र व ब्रह्म योग में आज मनाया जा रहा है।
ऋद्धि-सिद्धि के साथ विघ्नहर्ता गणपति की स्थापना कर पूरे दस दिनों तक गणेशोत्सव मनेगा। कई जगहों पर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक इनकी विधिवत पूजा-अर्चना के साथ भव्य आरती की जाएगी। आचार्य माधवानंद के अनुसार इस बार विशिष्ट योग बन रहा है। गणेश पूजा अमृत योग में मनेगी। अमृत योग रात्रि 12.12 तक है। स्थायीज योग संध्या 4.01 तक है। ब्रह्म योग रात्रि 9.35 मिनट तक है। कई वर्षों बाद रवि योग संध्या 4.01 तक है। लगभग पांच दशक के बाद इस तरह का योग बन रहा है। चौथ चंद्र भी अमृत एवं ब्रह्म योग में मनेगा।
पर्व को लेकर प्रचलित कथा
पं. राकेश झा ने कहा कि इस पर्व को लेकर प्राचीन कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार शिव जी ने क्रोध में गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया था। इसके बाद पार्वती के नाराज होने पर उन्होंने गणेश को नया रूप दिया। बाद में गणेश प्रथम पूज्य देवता बने। शास्त्रों में गणेश की उपासना के कई विधान हैं। गणपति की पूजा- अर्चना से हर काम पूरा होता है तथा भादो माह में उनकी पूरे देश में उपासना धूमधाम से की जाती है
अमृत मुहूर्त: सुबह 08:40 बजे से 10:13 बजे तक
शुभ योग: दोपहर 11:46 बजे से 01:19 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त: मध्याह्न 11:21 बजे से 12:11 बजे तक
चार ग्रह स्वयं की राशि में रहेंगे
ज्योतिषाचार्य पं. राकेश झा ने बताया कि शुक्रवार को गणेश चतुर्थी के दिन लगभग 59 वर्षों के बाद चित्रा नक्षत्र के साथ चार ग्रह स्वयं की राशि में रहेंगे। बुद्धि व वाणी के ग्रह बुध तथा साहस व पराक्रम के कारक मंगल कन्या राशि में, वहीं शुक्र एवं चंद्रमा की तुला राशि में युति होगी। आज सूर्य अपनी राशि सिंह में, बुध भी अपनी राशि कन्या में तथा शनि का स्वयं की राशि मकर में गोचर व दो बड़े ग्रह शनि और गुरु का एक साथ वक्री होने से अति पुण्यकारी संयोग बन रहा है।