अजित पवार की बगावत के लिए BJP ने यूं बिछाई बिसात, मार्च में ही शुरू हुई थी विपक्षी एकता को तार-तार करने की तैयारी

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महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में टूट की घटना कोई एक दिन में लिया गया कदम नहीं है. इसकी नींव मार्च के महीने में ही रख दी गई थी. न्‍यूज18 ने बीजेपी के कई सूत्रों से बात की, जिसमें पता चला कि लंबे वक्‍त में अजित पवार से बातचीत धीरे-धीरे आगे बढ़ी.

कुछ सूत्रों ने यहां तक दावा किया कि इसकी शुरुआत मार्च से भी पहले हो गई थी. चार जून को मीटिंग हुई. इसके बाद जून के मध्‍य में भी एक मीटिंग हुई थी. फिर 29 जून को अजित पवार के एनसीपी से अलग होने पर अंतिम मुहर लग गई थी.

इसी साल अप्रैल के महीने में इस तरह की खबरें आने लगी कि अजित पवार ने अमित शाह के साथ एक सीक्रेट मीटिंग की है. 15 अप्रैल को अमित शाह मुंबई में ही थे. महाराष्‍ट्र की राजनीति में दोनों की मुलाकात को लेकर चर्चाएं चल रही थी. हालांकि इसे लेकर किसी भी पक्ष की तरफ से पुष्टि नहीं की गई. अजित पवार से इस संबंध में उनके गठबंधन की अन्‍य पार्टियों द्वारा सवाल भी किए गए थे लेकिन महाराष्‍ट्र के उपमुख्‍यमंत्री ने तब इन बातों को अफवाह करार दिया था. नागपुर में एक रैली के दौरान अजित पवार से खुले तौर पर अमित शाह से मुलाकात को लेकर सवाल किए गए. इसपर उन्‍होंने कहा, ‘कहां पर मेरी मुलाकात हुई है, आप ही बताईये? सभी कयास निराधार हैं.’ जूनियर पवार ने तब मीडिया को यहां तक सलाह दी थी कि वो लोगों को गुमराह मत करें. उस वक्‍त तक एनसीपी के कई एमएलए बीजेपी के संपर्क में थे.

शिंदे को मई में मिली बातचीत की जानकारी

सूत्रों के मुताबिक मई के महीने में मुख्‍यमंत्री एकनाथ शिंदे को भी इस चर्चा का हिस्‍सा बनाया गया. उन्‍हें आने वाले वक्‍त में महाराष्‍ट्र सरकार की कैबिनेट में विस्‍तार से भी अवगत कराया गया. चार जून को शिंदे और देवेंद्र फडणवीस को दिल्‍ली आकर अमित शाह से मीटिंग के लिए बुलाया गया. दोनों अलग-अलग शहरों में थे. शिंदे पुणे और फडणवीस नागपुर से फ्लाइट पकड़कर दिल्‍ली पहुंचे. एकनाथ शिंदे से जब इस मीटिंग के संबंध में सवाल किए गए तो उन्‍होंने मीडिया को इसका सीधा जवाब नहीं दिया. उन्‍होंने कहा कि कोंकण जल मुद्दे और मराठवाड़ा ग्रिड परियोजना के संबंध में अमित शाह से बातचीत हुई है. ‘मैं दिल्‍ली आता रहता हूं. राज्‍य से जुड़े बहुत सारे मुद्दे हैं जिसपर बात होती रहती है. भले ही वो मराठवाड़ा जल ग्रिड परियोजना हो, कोंकण में पानी की समस्‍या या किसानों की समस्‍या.’

29 को अमित शाह ने लगाई मोहर

17 जून को शिंदे अकेले दिल्‍ली गए और उन्‍होंने अमित शाह से मुलाकात की. सभी सूत्रों ने यह बात बताई कि शिंदे सरकार की पहली वर्षगांठ से एक दिन पहले 29 जून को उनकी अमित शाह से दिल्‍ली में मुलाकात हुई. देवेंद्र फडणवीस भी इस मीटिंग का हिस्‍सा थे. शाह ने उन्‍हें सरकार में अजित पवार को शामिल करने की पूरी रूपरेखा समझाई. न्‍यूज18 को सूत्रों ने बताया कि 29 जून की बैठक के दौरान महाराष्‍ट्र में आने वाले दिनों में निकाय चुनावों की रणनीति पर चर्चा हुई. इसके बाद शिंदे ने अमित शाह के समक्ष केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह पाने के इच्छुक सांसदों को लेकर शिवसेना के भीतर बढ़ते असंतोष को दोहराया. शिंदे को थोड़ा इंतजार करने के लिए कहा गया. इसी रात को बीजेपी की तरफ से अजित पवार के साथ आगे बढ़ने का आधिकारिक अप्रूवल राज्‍य सरकार को मिला.

अजित पवार को लेकर बरती गई गोपनीयता

न्‍यूज18 को एक अन्‍य विश्‍वसनीय सूत्र ने बताया, ‘शिंदे और फडणवीस को मीडिया से इस पूरे मसले को दूर रखने की सलाह दी गई. यहां तक कि 29 जून को हुए अंतिम फैसले को लेकर मुझे भी ज्‍यादा कुछ नहीं पता था. मैंने आज फडणवीस से बातचीत की. दोनों नेताओं को यह बताया गया था कि मीडिया को केवल इतना बताया जाए कि आने वाले दिनों में निकाय चुनाव पर ही मीटिंग के दौरान चर्चा हुई है.’ मई के अंत में शिंदे को यह बता दिया गया था कि एनसीपी भी महाराष्‍ट्र सरकार का हिस्‍सा बनने जा रही है. एनसीपी के अजित पवार, प्रफूल पटेल, छगन भुजवल सहित 29 बड़े नेता इस धड़े का हिस्‍सा होंगे.

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