Hanuman Jayanti : 1800 किलो काजू, 1300 किलो शक्कर, 4 टिन देसी घी, बजरंग बली को यहां लगा सबसे बड़ा भोग
आज हनुमान जयंती है. पूरे देश में बजरंगबली के भक्त श्रद्धा और आस्था में डूबे हुए हैं. हम बात करेंगे भीलवाड़ा के दो मंदिरों की जहां हनुमान जयंती पर सबसे बड़ा भोग लगाया जाता है. यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं.
हनुमान जयंती पर भीलवाड़ा शहर सहित जिले भर में जगह जगह भजन, सुंदर कांड, अखंड रामायण और हनुमान चालीसा के पाठ हो रहे हैं. यहां के प्रमुख मंदिरों में से एक है संकट मोचन हनुमान मंदिर ये भक्तों की मन्नत के साथ प्रसाद के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां हनुमान जी महाराज को 3 हजार 100 केसर काजू कतली का भोग लगाया जाता है. दूसरी तरफ शहर के सबसे प्राचीन मंदिर पेच के बालाजी मंदिर में 31 बोरी शक्कर से नुक्ति प्रसाद बनाया गया है. इसके लिए 21 हजार पैकेट तैयार किए गए हैं. मंदिर परिसर को आकर्षक विद्युत लाइटिंग से भी सजाया गया है.
3100 किलो केसर काजू कतली का भोग
संकट मोचन हनुमान मंदिर में महंत बाबू गिरी महाराज के सानिध्य में बालाजी ने भक्तों को स्वर्ण चोले में दर्शन दिए. रात को भजन संध्या होगी. महाआरती के बाद 3100 किलो केसर काजू कतली और 11 किलो मिल्क केक का भोग लगाकर भक्तों में प्रसाद वितरण किया जाएगा. महेश बाबू गिरी महाराज ने कहा 3100 किलो केसर काजू कतली बनाने में 55 हलवाइयों की टीम लगी हुई है. काजू कतली में 1800 किलो काजू, 1300 किलो शक्कर, चार टिन देसी घी और ढाई सौ ग्राम केसर का उपयोग किया गया. मंदिर में 15 भट्टियां लगायी गयीं उन पर हलवाईयों ने काजू कतली बनायी. पिछले साल यहां 2500 किलो काजू कतली का भोग लगाया था. इस साल इसे बढ़ाकर 3100 किलो किया गया है. इसी के साथ गोल प्याऊ चौराहे से नगर परिषद चौराहे तक लाइटिंग की गई है.
पेच के बालाजी मंदिर में 31 बोरी मीठी नुकती
बालाजी मंदिर के पुजारी आशुतोष शर्मा ने कहा इस बार हनुमान जन्मोत्सव खास है. अयोध्या में भगवान राम अपने निजधाम में विराजमान हो चुके हैं. इसी कारण महाप्रसाद के लिए 31 बोरी शक्कर से हनुमान जी का प्रिय नुकती प्रसाद बनाया गया. महा प्रसाद बनाने में 31 बोरी शक्कर, 15 बोरी बेसन और 70 टीन देसी घी का इस्तेमाल किया. 48 घंटे तक दो भट्टियां लगातार चल रही हैं. श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरण में कोई असुविधा ना हो, इसके लिए प्रसाद के 21 हजार पैकेट बनाए गए हैं. मंदिर के शिखर पर ट्रस्ट के अध्यक्ष अनिल मानसिंह ने ध्वजा स्थापित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. बालाजी को स्वर्ण चोला चढ़ाया. फिर 56 भोग लगाने के बाद महाआरती की गयी और इसी के साथ श्रद्धालुओं में प्रसाद का वितरण शुरू हो गया.