जलवायु परिवर्तन: सोलर जियो इंजीनियरिंग से हर साल बचा सकते 4 लाख जानें, अध्ययन में सामने आईं ये बातें

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जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के बीच जॉर्जिया टेक स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी की अनुवाई में किए गए ताजा अध्ययन में नई बातें सामने आई है। इसमें पता चला है कि कई क्षेत्रों के लिए सोलर जिओ इंजीनियरिंग अकेले उत्सर्जन में कमी की तुलना में जीवन बचाने में अधिक प्रभावी हो सकती है।

जलवायु परिवर्तन के खतरों को सोलर जियो इंजीनियरिंग से कम कर सकते हैं। इससे धरती को जल्दी ठंडा किया जा सकता है। यह तकनी दुनिया के उत्सर्जन को सीमित करने और वातावरण से कार्बन को हटाने के प्रयासों को पूरी तरह से सफल बना सकती है। लेकिन, इसके कुछ खतरे भी हैं, जिसमें खराब वायु गुणवत्ता या कम वायुमंडलीय ओजोन शामिल हैं। ये दोनों ही अपने आप में गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

जॉर्जिया टेक स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी की अनुवाई में किए गए ताजा अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान की वजह से हर साल होने वाली करीब चार लाख लोगों की मौतों को रोका जा सकता है।

एक नजर अध्ययन पर

वहीं अध्ययन से पता चलता है कि कई क्षेत्रों के लिए सोलर जिओ इंजीनियरिंग अकेले उत्सर्जन में कमी की तुलना में जीवन बचाने में अधिक प्रभावी हो सकती है और इसे खुले दिल से अपनाया जाना चाहिए। यह अध्ययन नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुआ है।

जलवायु परिवर्तन का बढ़ता खतरा

जलवायु परिवर्तन की वजह से देश के 51 जिलों में भीषण बाढ़ और 91 जिलों में भयंकर सूखे का खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा अन्य 118 जिले उच्च बाढ़ और 91 जिले उच्च सूखे की जद में हैं। 11 जिले बाढ़ और सूखे दोनों के भयंकर खतरे में हैं। इनमें पटना, केरल में अलपुझा, असम में चराईदेव, डिब्रूगढ़, शिवसागर, दक्षिण सलमारा-मनकाचर, गोलाघाट, ओडिशा में केंद्रपाड़ा, पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद, नादिया और उत्तर दिनाजपुर शामिल हैं।

4,000 तहसीलों में बारिश में दस फीसदी वृद्धि

देश की 4,000 से अधिक तहसीलों में से लगभग 55 फीसदी में पिछले दशक यानी 2012-22 तक जलवायु आधार रेखा (1982-2011) की तुलना में मानसूनी बारिश में 10 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा राजस्थान, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों के पारंपरिक रूप से सूखे इलाकों में दर्ज किया गया है।

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