कोविशील्‍ड वैक्‍सीन लगवा चुके भारतीय लोगों को कितना खतरा? जानकर होगी हैरानी, दिल्‍ली के टॉप कार्डियोलॉजिस्‍ट-वायरोलॉजिस्‍ट ने दिया हर सवाल का जवाब

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कोरोना महामारी में भारत में 90 फीसदी से ज्‍यादा लोगों को लगाई गई कोविशील्‍ड वैक्‍सीन सवालों के घेरे में आ गई है. इसे बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्रेजेनेका ने ब्रिटिश हाईकोर्ट में इसके खराब साइड इफैक्‍ट ब्‍लड क्‍लोटिंग (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम) की बात कुबूली है, जिससे दुनियाभर में इस वैक्‍सीन को लगवाने वाले लोगों में डर पैदा हो गया है.

भारत में न केवल इस वैक्‍सीन पर तमाम सवाल उठ रहे हैं बल्कि इसे बनाने वाली भारतीय कंपनी सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया भी कटघरे में है. हालांकि इस वैक्‍सीन को लगे 3 साल से ज्‍यादा का समय हो गया है, ऐसे में भारतीय लोगों में इस वैक्‍सीन का कितना खतरा है, इसे लेकर दिल्‍ली के टॉप कार्डियोलॉजिस्‍ट और वायरोलॉजिस्‍ट ने अपनी राय दी है.

ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) नई दिल्‍ली के कार्डियोलॉजिस्‍ट प्रोफेसर नितीश नायक और डॉ. अंबेडकर सेंटर फॉर बायोमेडिकल रिसर्च नई दिल्‍ली के डायरेक्‍टर और जाने माने वायरोलॉजिस्‍ट प्रोफेसर सुनीत के सिंह यहां कोविशील्‍ड वैक्‍सीन से जुड़े खतरों को लेकर हर सवाल का जवाब दे रहे हैं…

आइए जानते हैं वायरोलॉजिस्‍ट डॉ. सुनीत सिंह से….

सवाल. एस्‍ट्राजेनेका ने कुबूला है कि कोविशील्‍ड वैक्‍सीन का साइड इफैक्‍ट हुआ है, क्‍या हैं ये साइड इफैक्‍ट्स?

जवाब. एस्‍ट्रेजेनिका ने स्‍वीकारा है कि इससे साइड इफैक्‍ट हुआ है तो उसने कुछ केस ऐसे देखे होंगे. इस वैक्‍सीन के लगने के बाद कुछ लोगों में ब्‍लड क्‍लोटिंग देखी गई, जिसका एक असर हार्ट अटैक भी होता है. हालांकि हमको ये भी देखना होगा कि उस महामारी के दौरान जब कोविड को लेकर कोई विकल्‍प ही नहीं था और आपातकाल में जनसंख्‍या को सुरक्षित करना था तो उसके अच्‍छे-बुरे को देखें तो जितने लोग वैक्‍सीनेटेड हुए हैं और जितनों को इससे साइड इफैक्‍ट हुआ है, उसमें जमीन और आसमान का अंतर है. एस्‍ट्रेजेनेका के डेटा के अनुसार उस लिहाज से लाइफ थ्रेटनिंग थ्राम्‍बोसिस वाले मरीजों की संख्‍या बहुत कम है.

सवाल- भारत में 90 फीसदी लोगों ने कोविशील्‍ड वैक्‍सीन ली है, कितना खतरा है?

जवाब. जब शुरुआत में ये वैक्‍सीन लगवाई जा रही थी तो भी ऐसे कई सवाल उठे थे और कहा गया था कि कोवैक्‍सीन सुरक्षित है और कोविशील्‍ड के नुकसान हो सकते हैं. ऐसा इसलिए भी कहा गया था कि यह एडिनोवायरस बेस्‍ड वैक्‍सीन थी, जो बायोटेक्‍नोलॉजी का नया टर्म है. इसके अलावा अन्‍य कई विदेशी वैक्‍सीनों को लेकर भी सवाल उठे थे. डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी उस समय बोला था कि कुछ मामले थ्रोम्‍बोसिस के आ रहे थे. लेकिन लिटरेचर पढ़ेंगे तो देखेंगे कि इस तरह के साइड इफैक्‍ट्स शुरुआत में ही दिखाई देते हैं. ये वैक्‍सीन लगने के 4 से 6 हफ्तों के बीच ही सामने आते हैं. अब जबकि वैक्‍सीन लगे इतने साल हो गए हैं तो भारत में इसका खतरा नहीं है. बाकी अपवाद किसी भी दवा में हो सकता है.

सवाल. उस समय कोमोरबिड लोगों में वैक्‍सीन के साइड इफैक्‍ट देखे गए थे, क्‍या ये भी वजह हो सकती है?

जवाब. हां बिल्‍कुल. जिन लोगों को कोई डिसऑर्डर है, बीपी, डायबिटीज की समस्‍या है या कोमोरबिड हैं, तो संभव है कि वैक्‍सीनेशन के अलावा इन कोमोरबिड कंडीशंस का भी एक इंपैक्‍ट इस तरह की ब्‍लड क्‍लोटिंग में हो सकता है और जानलेवा हो सकता है. इसलिए यह कहना कि सिर्फ वैक्‍सीनेशन से ऐसा हुआ है, जल्‍दबाजी होगी.

सवाल. कोविशील्‍ड वैक्‍सीनेटेड लोगों से क्‍या कहेंगे?

जवाब. मेरे भी कोविशील्‍ड वैक्‍सीन लगी है. मैं स्‍वस्‍थ हूं. मेरी तरह यह वैक्‍सीन बहुतों को लगी है. वैक्‍सीन ने रोगों से लड़ने की क्षमता दी है. वैक्‍सीनेशना को नेगेटिव न लें. सबसे जरूरी बात है कि लोगों के मन में ये भय नहीं बैठना चाहिए कि वैक्‍सीन असुरक्षित है. ऐसा बिल्‍कुल भी नहीं है. वैक्‍सीन ने कोविड से बचाया है, एक ऐसी महामारी से, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है. इसलिए कुल मिलाकर देखें तो फायदा नुकसान से कहीं ज्‍यादा है.

AIIMS दिल्‍ली के कार्डियोलॉजिस्‍ट ने क्‍या कहा…

सवाल. कोविशील्‍ड वैक्‍सीन के साइड इफैक्‍ट कितने खतरनाक?

जवाब. हमें यह देखना चाहिए कि किसी दवा का फायदा ज्‍यादा है और उसके साइड इफैक्‍ट्स कम हैं तो उसका कॉस्‍ट बेनिफिट एनालिसिस और ओवरऑल एनालिसिस क्‍या है. मुझे लगता है कि इस वैक्‍सीन के साथ भी यही है कि इससे फायदा ज्‍यादा हुआ होगा न कि नुकसान. यह इमरजेंसी इस्‍तेमाल के लिए वैक्‍सीन थी, जिसने कोविड से लोगों को बचाने में मदद की.

सवाल. क्‍या एम्‍स में कोविशील्‍ड वैक्‍सीनेटेड हार्ट के मरीज आए हैं?

जवाब. मेरे खुद के अनुभव में तो कोविशील्‍ड वैक्‍सीन और हार्ट अटैक के मरीजों के बीच ऐसा को-रिलेशन एम्‍स में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट ने नहीं देखा.’

सवाल. इस वैक्‍सीन के साइड इफैक्‍ट वाला कोई डेटा एम्‍स के पास है?

जवाब. जब कोरोना की वैक्‍सीन दी गई थी तो एम्‍स ने कोवैक्‍सीन लगाई थी. यहां कोविशील्‍ड नहीं दी गई थी. कोवैक्‍सीन में ऐसा कोई भी साइड इफैक्‍ट नहीं देखा गया है. जहां तक कोविशील्‍ड की बात है तो इसे लेकर भी एम्‍स के पास ऐसा कोई डेटा नहीं है जो ये बताए कि इस वैक्‍सीन के असर के चलते हार्ट डिजीज हुई हैं. हालांकि अन्‍य लोगों के पास इसका अनुभव हो सकता है.

सवाल. क्‍या कोविशील्‍ड को लेकर पैनिक सही है?

जवाब- मुझे नहीं लगता कि कोविशील्‍ड को लेकर इतनी पैनिक सही है. जब कोरोना महामारी का दौर था और कोई इलाज किसी के पास नहीं था, उस समय इससे बचाव के लिए वैक्‍सीन बहुत महत्‍वपूर्ण थी. अगर ये वैक्‍सीन उस समय नहीं दी जाती तो संभव है कि बहुत सारी जिंदगियों को नुकसान हो सकता था. जहां तक साइड इफैक्‍ट की बात है तो कोई भी ट्रीटमेंट आप लेते हैं तो उसके खराब असर हो सकते हैं.

सवाल. क्‍या अन्‍य दवाओं या वैक्‍सीनों के भी साइड इफैक्‍ट होते हैं?

जवाब. अन्‍य कई दवाओं के भी साइड इफैक्‍ट्स होते हैं. जैसे कैंसर का इलाज कराते हुए कई बार दवाओं के एडवर्स इफैक्‍ट देखे जाते हैं जिसका असर किडनी, लिवर या अन्‍य अंगों पर खराब पड़ता है. ब्‍लीडिंग करती हैं या स्किन पर खराब असर डालती हैं.

सवाल. एस्‍ट्रेजेनिका ने माना है कि 1 लाख लोगों को वैक्‍सीन लगी है तो दो लोगों में साइड इफैक्‍ट दिखा है, यह कितनी बड़ी संख्‍या है?

जवाब. यह नंबर बहुत बड़ा नहीं है. इन्‍हीं लोगों में फेटल, माइनर, रिवर्सिवल और कितनी रिकवरी हुई है, ये भी शामिल होगा. वहीं अभी इस वैक्‍सीन को लगे कुछ ही साल हुए हैं, अभी और स्‍टडीज और निगरानी की जरूरत है, ताकि इस वैक्‍सीन के बारे में बेहतर तरीके से जानकारी जुटाई जा सके.

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