राम नवमी के दिन बन रहा ये शुभ योग, कब से कब तक है शुभ मुहूर्त? एक्सपर्ट ने बताई पूजा विधि और तिथि

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भगवान श्रीराम का जन्म कर्क लग्न और अभिजीत मुहूर्त में मध्यान्ह 12 बजे हुआ था. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने लोकल 18 को बताया कि राम नवमी इस साल 17 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी.

नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01.23 बजे शुरू होगी और अगले दिन 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 03.14 बजे समाप्त होगी. इस दिन पूरे देश में धूमधाम से राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म राजा दशरथ के घर पर हुआ था. इस दिन प्रभु श्रीराम की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.

इस दिन बनता है विशेष योग

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने लोकल 18 से बातचीत कर बताया कि वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान राम का जन्म मध्यान्ह में अभिजीत मुहूर्त में हुआ था. उस समय सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह का विशेष योग बना था. जबकि सूर्य, मंगल, गुरु, शुक्र और शनि अपनी-अपनी उच्च राशि में मौजूद थे. हिन्दू पंचांग के अनुसार रामनवमी के दिन 17 अप्रैल को शुभ योग बन रहा है, जो इसे बहुत खास बना रहा है. इस योग में सूर्य का प्रभाव होने से भक्तों को सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. इस योग में धार्मिक कार्य ओर हवन पूजन करने से जीवन में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.

रवि योग में मिलेगी दोषों से मुक्ति

डॉ अनीष व्यास ने बताया कि नवरात्र पर्व के दौरान रवि योग बन रहा है. रवि योग में सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है. रवि योग को शुभ योग माना जाता है, जिसमें सूर्य का प्रभाव होता है. इस दौरान पूजा-पाठ करने से मान-सम्मान और करियर में सफलता प्रदान होता है.

राम नवमी मुहूर्त और पूजा विधि

डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल राम नवमी 17 अप्रैल 2024 को है. पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01.23 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 03.14 मिनट पर समाप्त होगी.

डॉ अनीष व्यास ने बताया कि इस पावन दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें. अपने घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें . घर के मंदिर में देवी- देवताओं को स्नान कराने के बाद साफ स्वच्छ वस्त्र पहनाएं. भगवान राम की प्रतिमा या तस्वीर पर तुलसी का पत्ता और फूल अर्पित करें. भगवान को अपनी इच्छानुसार सात्विक चीजों का भोग लगाएं आप रामचरितमानस, रामायण, श्री राम स्तुति और रामरक्षास्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं. आप कही भी और कभी भी राम नाम का जप कर सकते हैं.

हवन सामग्री और विधि

डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि आम की लकड़ी, आम के पत्ते, पीपल का तना, छाल, बेल, नीम, गूलर की छाल, चंदन की लकड़ी, अश्वगंधा, मुलैठी की जड़, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय की घी, इलायची, शक्कर, नवग्रह की लकड़ी, पंचमेवा, जटाधारी नारियल, गोला और जौ आदि हवन में प्रयोग होने वाली सभी सामग्री जुटाएं.

डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हवन पर बैठने वाले व्यक्ति को रामनवमी के दिन प्रातः जल्दी उठना चाहिए. वैदिक शास्त्रों में ऐसा लिखा है कि यदि हवन पति-पत्नी साथ में करें, तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है. सबसे पहले किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें. हवन कुंड में आम लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें.

इस मंत्र का करे जाप

इसके बाद हवन कुंड में ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डयै विच्चै नमः का जाप करते हुए घी से माता के नाम की आहुति दें. इसी के साथ अन्य देवी-देवताओं के नाम की आहुति दें. इसके बाद संपूर्ण हवन सामग्री से 108 बार हवन सामग्री को आहुति दें.

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