मौनी अमावस्या पर घर बैठे पाएं पुण्य, ऐसे नहाने से त्रिवेणी संगम स्नान जैसा मिलेगा लाभ, जानें पूरी विधि

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भारतीय संस्कृति में मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन मौन रहकर मन की शुद्धि और एकाग्रता प्राप्त की जाती है. ‘मौनी’ शब्द का तात्पर्य वाणी को मौन रखना है, जो मन को स्थिर करता है.

वहीं ‘अमावस्या’ सूर्य और चंद्रमा के संगम का प्रतीक है. इस दिन त्रिवेणी संगम पर स्नान और साधना से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है. महाकुंभ पर्व के अवसर पर प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम, अमावस्या तिथि के साथ मिलकर दिव्य योग की रचना करता है. इस दिन गंगास्नान से आत्मशुद्धि होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

घर बैठे कैसे लें गंगास्नान का पुण्य

जालोर के ज्योतिषाचार्य पण्डित भानु प्रकाश दवे ने लोकल 18 को बताया कि यदि आप किसी कारणवश प्रयागराज नहीं जा पा रहे हैं, तो घर बैठे भी आप मौनी अमावस्या के पुण्य फल का लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

सबसे पहले प्रातःकाल स्नान करते समय जल में थोड़ी गौ रज (गाय के गोबर की राख) मिलाएं. स्नान करते हुए निम्न मंत्र का उच्चारण करें:

“त्रिवेणी माधवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्।
वन्दे अक्षय वटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम।।”

उसके बाद स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. दाहिने हाथ में दुर्वांकुर (दूब घास) की 16 गांठें लेकर भगवान का ध्यान करें. मानसिक पूजा करते हुए भगवान के नाम का संकीर्तन करें. इस दौरान मौन रहकर अपने मन को भगवान के चरणों में समर्पित करें

मौनी अमावस्या का उद्देश्य

ज्योतिषाचार्य दवे ने Local 18 को बताया कि मौनी अमावस्या का मुख्य उद्देश्य वाणी और मन पर नियंत्रण पाकर ईश्वर के प्रति समर्पण करना है. जब आप घर पर रहकर अपने इंद्रियों को संयमित करते हुए साधना करते हैं, तो आप अपनी ऊर्जा को सही दिशा में केंद्रित कर पाते हैं. इस तरह, त्रिवेणी संगम के स्नान के पुण्य का अनुभव आप घर बैठे ही कर सकते हैं.

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