हरतालिका तीज का व्रत आज, क्यों महिलाएं करती हैं 16 श्रृंगार, हर एक का है विशेष महत्व

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हरतालिका तीज व्रत का सम्बंध भगवान शिव और माता पार्वती से हैं. हरतालिका तीज पर सुहागिन महिलाएं रात भर जागरण कर गौरीशंकर की पूजा करती हैं.

इस व्रत को सर्वप्रथम माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था. सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज पर अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर 2023, दिन सोमवार यानी आज रखा जा रहा है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार कर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और भगवान शिव माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं, हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार करने का क्या महत्व होता है.

माता पार्वती का प्रतीक

हिन्दू धर्म में विवाहित महिलाओं में 16 श्रृंगार करने का चलन प्राचीन काल से ही है. हरतालिका तीज मुख्य रूप से माता पार्वती को ही समर्पित किया जाता है. 16 सिंगार भी उन्हीं से ही जुड़े हुए हैं. हरतालिका तीज माता पार्वती और भगवान शिव के अटूट रिश्ते को ध्यान में रखकर मनाया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार करके गौरी शंकर की पूजा और व्रत करती हैं. इससे उनका वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है.

सुहाग की निशानी

सुहागिन महिलाओं द्वारा लगाई जाने वाली बिंदी भी 16 श्रृंगार में शामिल होती है. बिंदी मूल रूप से माथे के बीचों-बीच लगाई जाती है. यह चेहरे की सुंदरता को बढ़ाती है. हरतालिका तीज के दिन 16 श्रृंगार में बिंदी को अवश्य शामिल करना चाहिए. इसके अलावा सिंदूर भी सुहागिन महिलाओं के लिए आवश्यक श्रृंगार माना जाता है. मंगलसूत्र और बिछिया भी सुहागिन महिलाओं द्वारा ही पहनी जाती है. इन सभी चीज़ों को हरतालिका तीज के अवसर पर 16 श्रृंगार में शामिल करें.

ये चीजें भी करें श्रृंगार में शामिल

मांग टीका लगाने से महिलाओं की सुंदरता और बढ़ जाती है. इसके साथ ही काजल, नथनी, पायल, कमरबंध और चूड़ियां आदि को भी हरतालिका तीज के अवसर पर अपने सोलह शृंगार का हिस्सा अवश्य बनाना चाहिए, साथ ही इस दिन हाथों में मेहंदी लगाने का भी विशेष महत्व होता है.

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