अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर ने लिखा नया इतिहास, सात चुनाव का तोड़ा रिकॉर्ड
धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर में बुधवार को विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत वोटिंग हुई. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाला गया.
इलेक्शन तीन चरणों में होना है, जिसका पहला चरण 18 सितंबर को संपन्न हुआ. जम्मू-कश्मीर की जनता ने यहां के लोकतांत्रिक इतिहास में नई इबारत लिख दी है. पहले फेज के तहत कुल 59 फीसद वोटिंग हुई. यह आंकड़ा पिछले 7 चुनावों में सबसे ज्यादा है. इसका मतलब यह हुआ कि जम्मू-कश्मीर में पिछले कई चुनावों में सबसे ज्यादा वोटिंग इस बार हुई है. बता दें कि जम्मू-कश्मीर में 10 साल के बाद विधानसभा चुनाव हो रहा है.
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की जनता ने विधानसभा चुनाव में नया इतिहास लिख दिया है. प्रदेश की जनता ने लोकतंत्र में आस्था जताते हुए EVM का बटन दबाने के लिए बड़ी तादाद में अपने-अपने घरों से निकले. मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) पीके पोले ने बताया कि पहले चरण के तहत हुई वोटिंग में 59 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. उन्होंने आगे बताया कि प्रदेश में वोटिंग शांतिपूर्ण रहा. चुनाव अधिकारी ने हालांकि बताया कि वोटिंग परसेंटेज के आंकड़े में बदलाव आ सकता है. ये आंकड़े बढ़ भी सकते हैं. CEO के अनुसार, प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों और पोस्टल बैलट से डाले गए वोटों का अंतिम आंकड़ा अभी सामने आना बाकी है.
7 जिलों की 24 सीटों के लिए वोटिंग
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत 7 जिलों की 24 सीटों के लिए वोट डाले गए. मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में चुनाव शांतिपूर्ण रहा. कहीं से भी किसी भी तरह की हिंसा की खबर सामने नहीं आई. दिलचस्प है कि पिछले 10 साल के अंतराल के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहा है. बीजेपी के साथ ही कांग्रेस, नेशनल कॉफ्रेंस, पीडीपी समेत छोटी-छोटी पार्टियां चुनाव मैदान में हैं.
4 लोकसभा चुनाव, 3 विधानसभा चुनाव
CEO पीके पोले ने बताया कि पिछले 7 चुनावों में इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग हुई है. उन्होंने कहा, ’59 फीसद मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया जो पिछले 7 चुनावों (4 लोकसभा और 3 विधानसभा चुनाव) में सबसे ज्यादा है.’ मुख्य चुनाव अधिकारी ने वोटिंग परसेंटेज में वृद्धि के लिए कई चीजों को जिम्मेदार ठहराया है. इनमें बेहतर सुरक्षा व्यवस्था, राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों की सक्रिय भागीदारी है. किश्तवाड़ में सबसे ज्यादा 77 फीसद तक वोटिंग हुई है. वहीं, पुलवामा में सबसे कम 46 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला. अब दो फेज का चुनाव बाकी है जो 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा.