क्रिमिनल लॉ बिल: 150 साल पुराने 3 कानूनों में बड़ा बदलाव, लोकसभा में बोले गृह मंत्री अमित शाह

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा है कि इस ऐतिहासिक सदन में करीब 150 साल पुराने तीन कानून, जिनसे हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली चलती है, उन तीनों कानूनों में पहली बार मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और भारत की जनता की चिंता करने वाले बहुत आमूल-चूल परिवर्तन लेकर मैं आया हूं.

उन्‍होंने कहा कि Indian Penal Code जो 1860 में बना था, उसका उद्देश्य न्याय देना नहीं बल्कि दंड देना ही था. उसकी जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 इस सदन की मान्यता के बाद पूरे देश में अमल में आएगी.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि CrPc की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 इस सदन के अनुमोदन के बाद अमल में आएगी. और Indian Evidence Act 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 अमल में आएगा. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद की व्याख्या अब तक किसी भी कानून में नहीं थी. पहली बार अब मोदी सरकार आतंकवाद को व्याख्यायित करने जा रही है. जिससे इसकी कमी का कोई फायदा न उठा पाए.

मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान

मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं. लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए.

राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में नहीं

राजद्रोह जैसे अंग्रेजों के काले कानूनों का नए भारत में सफाया हुआ. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (CRPC) में पहले 484 धाराएं थीं, अब 531 होंगी, 177 धाराओं में बदलाव हुआ है. 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं, 39 नए सब सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रोविजन और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं, 35 सेक्शन में टाइम लाइन जोड़ी हैं और 14 धाराओं को हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने लाल किला से कहा था कि उपनिवेशिक कानून से देश को मुक्ति मिलनी चाहिए. उसके बाद 2019 से परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू की. ये कानून विदेशी शासन गुलाम प्रजा को शासित करने के लिए बनाया गया कानून है.

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