17 या 18 सितंबर कब शुरू होगा पितृपक्ष, किस समय करना चाहिए श्राद्ध?

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पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने का समय बस कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है. मान्यता है कि पितृपक्ष में पितर धरती पर आते हैं और हमारे द्वारा किए तर्पण व पूजन से तृप्त होते हैं.

हिंदू धर्म ज्यादातर लोगों गो पितृपक्ष का इंतजार होता है, ताकि वे अपने पितरों के प्रति अपनी आस्था प्रकट कर सकें. ये भी कहा जाता है कि अगर इस दौरान पितर प्रसन्न हो जाएं तो साल भर उनकी कृपा परिवार पर बनी रहती है.

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि इस साल पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद की पूर्णिमा 17 सितंबर से हो रही है. लेकिन, उदया तिथि के अनुसार, 18 सितंबर को ही प्रतिपदा का श्राद्ध किया जाएगा. बताया कि भाद्रपद की पूर्णिमा की शुरुआत 17 सितंबर सुबह 11 बजे से होगी. समापन अगले दिन यानी 18 सितंबर सुबह 8 बजे होगा. इसलिए पूर्णिमा का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा और स्नान, दान 18 सितंबर को होगा. इसी दिन प्रतिपदा का श्राद्ध भी किया जाएगा.

तिथि के अनुसार करें तर्पण

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि तिथि के अनुसार ही अपने-अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए, यानी जिस तिथि पर जिस भी पितृ की मृत्यु हुई है. मान्यता है कि तिथि पर तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और स्वर्ग की ओर जाते हैं.

दोपहर बाद करना चाहिए तर्पण

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध श्रद्धा भाव से दोपहर बाद ही करना चाहिए. इससे स्वास्थ्य, समृद्धि, आयु, सुख-शांति, वंशवृद्धि और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है.

श्राद्ध-पिंडदान की तिथियां

18 सितंबर: प्रतिपदा श्राद्ध, 19 सितंबर: द्वितीय श्राद्ध, 20 सितंबर: तृतीया श्राद्ध, 21 सितंबर: चतुर्थ श्राद्ध, 22 सितंबर: पंचम श्राद्ध, 23 सितंबर: षष्ठ श्राद्ध, 24 सितंबर: सप्तम श्राद्ध, 25 सितंबर: अष्टम श्राद्ध, 26 सितंबर: नवम श्राद्ध, 27 सितंबर: दशम श्राद्ध, 28 सितंबर: एकादश श्राद्ध, 29 सितंबर: द्वादश श्राद्ध, 30 सितंबर: त्रयोदश श्राद्ध, 1 अक्टूबूर: चतुर्दश श्राद्ध, 2 अक्टूबर: सर्वपितृ अमवस्या.

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