राष्ट्रपति चुनाव की भेंट चढ़ेंगे 3 गठबंधन! महाराष्ट्र से झारखंड तक संकट के आसार, कांग्रेस को नुकसान ज्यादा

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राष्ट्रपति चुनाव में कुछ ही दिन बाकी हैं और नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को दलों से जोरदार समर्थन मिल रहा है। हाल ही में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी मुर्मू का साथ देने का ऐलान किया है।

अब मौजूदा सियासी हाल में राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर विपक्ष बनाम NDA की जंग में कई गठबंधनों पर चोट लगने के आसार नजर आ रहे हैं। महाराष्ट्र से लेकर झारखंड तक कई प्रमुख दलों की राय अपने सहयोगियों से जुदा है। खास बात है कि अगर समर्थन को लेकर गठबंधनों में दरार पड़ती है, तो कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है।

झारखंड

झारखंड में जेएमएम, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल की गठबंधन की सरकार है। इसकी अगुवाई जेएमएम कर रही है। खास बात है कि 81 सीटों के झारखंड में 18 सीटें हासिल करने वाली कांग्रेस के 30 सीटों वाली जेएमएम के साथ तनाव की खबरें आती रही हैं। इसकी शुरुआत राज्यसभा चुनाव से कही जा सकती है, जहां कथित तौर पर पार्टी ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की संयुक्त उम्मीदवार को उतारने के अनुरोध को अनदेखा कर दिया था। पार्टी ने महुआ मांझी को अपना उम्मीदवार बनाया था।

अब राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन को लेकर भी दोनों पार्टियों के बीच खाई बढ़ सकती है। एक और विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थन में कांग्रेस है। वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अब मुर्मू के साथ आ गए हैं। सीएम के पिता शिबू सोरेने ने पत्र में लिखा, ‘आप सभी जानते हैं कि झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार हैं, जो एक आदिवासी महिला भी हैं। आजादी के बाद पहली बार आदिवासी महिला को राष्ट्रपति चुने जाने का सम्मान मिला है। विचार के बाद पार्टी ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट देने का फैसला किया है।’

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में जून के अंत से चल रहा सत्ता संकट जुलाई की शुरुआत में थमने लगा था। इसके साथ ही सत्ता संभाल रही महाविकास अघाड़ी सरकार पर भी विराम लग गया था। अब इस सरकार में शिवसेना, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी समेत कई अन्य दल शामिल थे। यहां सरकार का नेतृत्व शिवसेना कर रही थी। फिलहाल, MVA के भविष्य को लेकर बड़ा बयान सामने नहीं आया है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन से इसे बड़ा धक्का लग सकता है।

एक ओर जहां उद्धव ठाकरे के समर्थन वाली शिवसेना बचे विधायकों और सांसदों के साथ मुर्मू के पक्ष में जाने का ऐलान कर दिया है। वहीं, कांग्रेस सिन्हा के साथ है। खबरें थी कि राकंपा प्रमुख शरद पवार ने सिन्हा के प्रचार अभियान की कमान भी संभाल ली है। हाल ही में उन्होंने विपक्षी दलों के साथ बैठक भी की थी। गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी भी विपक्षी उम्मीदवार के साथ जा सकती है।

उत्तर प्रदेश

राज्य में सुहैलदेव भारतीय समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के गठबंधन को लेकर अभी कुछ निश्चित नहीं है। गुरुवार को कार तोहफे में देने को लेकर दोनों पार्टियों के बीच एक नया विवाद भी शुरू होने की खबर है। बहरहाल, शुक्रवार को SBSP प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भी मुर्मू के समर्थन का ऐलान कर दिया है। राजभर ने बताया कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से आयोजित डिनर पार्टी में भी शामिल हुए थे, जिसमें मुर्मू भी मौजूद थीं।

राष्ट्रपति चुनाव को लेकर SBSP प्रवक्ता पीयूष मिश्रा ने पहले कहा था, ‘राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सपा ने हमें विपक्षी दलों की बैठक में नहीं बुलाया, जिसमें विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा मौजूद थे। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि अगर हमें नहीं बुलाया गया, तो हमारे पास और क्या रास्ता बचा है।’ गठबंधन को लेकर उन्होंने कहा, ‘सपा को गठबंधन के भाग्य का फैसला करना है। नहीं तो राम राम, जय सिया राम।’

सपा ने साल 2022 यूपी विधानसभा चुनाव आरएलडी, एसबीएसपी, महान दल, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया, अपना दल(कमेरावादी) और जनवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था। पीएसपी-एल प्रमुख शिवपाल यादव पहले ही मुर्मू को वोट देने की बात कह चुके हैं। वहीं, महान दल और जनवादी पार्टी (समाजवादी) सपा से अलग हो चुकी है।

कांग्रेस को नुकसान सबसे ज्यादा!

साल की शुरुआत तक कांग्रेस तीन राज्यों पंजाब, छत्तीसगढ़ और पंजाब में सत्तारूढ़ थी। जबकि, झारखंड और महाराष्ट्र में गद्दी संभाल रहे गठबंधन का हिस्सा थी। साल के मध्य तक पार्टी पंजाब में हार और महाराष्ट्र में बगावत के बाद सत्ता से दूर हो चुकी है।

अब संबंधों के लिहाज से महाराष्ट्र और झारखंड दोनों ही जगह कांग्रेस अच्छी स्थित में नजर नहीं आ रही है। महाराष्ट्र में प्रदेश प्रमुख नाना पटोले अकेले ही चुनाव में उतरने पर जोर देते रहे हैं। साथ ही एनसीपी और शिवसेना पर उन्होंने सवाल उठाए थे। कई बड़े नेता यह बता चुके हैं ठाकरे फैसलों को लेकर कांग्रेस से बात नहीं करते। वहीं, कांग्रेस एनसीपी पर भी धोखा देने के आरोप लगा चुकी है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता शिकायत करते हैं कि जेएमएम उनके मंत्रियों और विधायकों का सम्मान नहीं किया। रिपोर्ट के अनुसार, कुछ विधायकों समेत कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग सरकार से हटने और केवल बाहरी समर्थन देने के पक्ष में हैं, लेकिन कांग्रेस के चार मंत्री अपना पद और सुविधाएं छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

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