राहुल गांधी और महुआ मोइत्रा के बयान को संसद की कार्यवाही से हटाया गया

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संसद की कार्यवाही से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के बयान को हटा दिया गया है. इसके बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि लोकसभा में अडाणी समूह से जुड़े मामले को लेकर राहुल गांधी की ओर से की गई टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाकर सदन में लोकतंत्र को खत्म किया गया.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री से जुड़े अडाणी महाघोटाले पर राहुल गांधी की टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाये जाने के साथ लोकसभा में लोकतंत्र का दाहसंस्कार कर दिया गया. ओम शांति.’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अडाणी समूह से जुड़े मामले का हवाला देते हुए मंगलवार को लोकसभा में आरोप लगाया था कि 2014 में केंद्र की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी के आने बाद ऐसा ‘असली जादू’ हुआ कि आठ वर्षों के भीतर उद्योगपति गौतम अडाणी दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए.

उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यह दावा भी किया था कि मौजूदा सरकार के दौरान नियम बदलकर हवाई अड्डों के ठेके अडाणी समूह को दिए गए. राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर की गई कुछ टिप्पणियों को आसन के निर्देश पर कार्यवाही से हटाया गया है.

महुआ मोइत्रा ने किया था अपशब्द का इस्तेमाल

दूसरी ओर, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा में शामिल होते हुए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा था. मोइत्रा का भाषण खत्म होने के बाद अगले वक्ता ने बोलना शुरू किया, इसी दौरान बैठे-बैठे महुआ मोइत्रा ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया, जिसका विरोध करते हुए भाजपा सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया. रमेश बिधूड़ी, विनोद सोनकर और निशिकांत दुबे सहित कई भाजपा सांसदों ने खड़े होकर सदन में महुआ मोइत्रा से माफी मांगने की मांग की.

इस पर आसन की तरफ से यह कहा गया था कि अभद्र एवं असंसदीय भाषा को सदन के रिकॉर्ड से बाहर कर दिया जाएगा और संबंधित दल ( तृणमूल कांग्रेस ) के नेता एवं केंद्रीय संसदीय मंत्री आपस में बात करके तय करें कि इसका समाधान कैसे करना है.

हालांकि, उन्होंने बुधवार को लोकसभा में कहे गए अपशब्दों के इस्तेमाल का बचाव किया और कहा कि वह सेब को सेब कहेंगी संतरा नहीं. महुआ मोइत्रा ने कहा, ‘मैंने जो कुछ भी कहा वह रिकॉर्ड में नहीं था और मैं केवल इतना कह सकती हूं कि मैं एक सेब को एक सेब कहूंगी, नारंगी नहीं. मैं कुदाल को कुदाल कहूंगी. यदि वे मुझे विशेषाधिकार समिति के पास ले जाते हैं, तो मैं अपनी कहानी का पक्ष रखूंगी.’

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