सरल विधि, मंत्र, देव उठनी एकादशी पूजा करने का उपाय।

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हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के शालिग्राम स्वरूप और मां तुलसी का विवाह किया जाता है.

इसके बाद विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू हो जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु इस दिन योग निद्रा से जागने के बाद सबसे पहले माता तुलसी की आवाज ही सुनते हैं. शालिग्राम के साथ तुलसी के आध्यात्मिक विवाह को देव उठनी एकादशी (Devuthani Ekadashi 2021) या देव उठनी ग्यारस कहते हैं. इस दिन तुलसी (Tulsi Vivah 2021) की पूजा का खास महत्व है. जानिए पूजा विधि, पूजा का मंत्र, क्या खास होता है और शुभ मुहूर्त…

एकादशी की पूजा विधि (Dev Uthani Ekadashi Puja Vidhi)
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा कर स्वच्छ कपड़े धारण करके भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें जागने का आवाहन कर व्रत करने का संकल्प लें. शाम के वक्त पूजा स्थल पर रंगोली बनाएं. फिर घी के 11 दीये देवताओं के निमित्त जलाएं. गन्ने का मंडप बनाकर बीच में विष्णु जी की मूर्ति रखें.

भगवान हरि को गन्ना, सिंघाड़ा, लड्डू, पतासे, मूली आदि ऋतुफल अर्पित करें. एक घी का दीपक जलाएं जो रात भर जलता रहे. व्रत के बाद भगवान की विधि विधान पूजा करने के बाद से ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किये जा सकते हैं.

  • देव उठनी एकादशी के मंत्र (Dev Uthani Ekadashi Mantra)
  • उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥
  • उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव, गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥

शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव. अगर मंत्र याद नहीं होता है तो उठो देव, उठो देव करके भी देव को उठाया जा सकता है.

देव उठनी एकादशी पर ये होता है खास
एकादशी पर भगवान की पूजा में सिंघाड़ा, बेर, मूली, गाजर, केला और बैंगन सहित अन्य मौसमी सब्जियां अर्पित की जाती हैं. धार्मिक मान्यता है कि सिंघाड़ा माता लक्ष्मी का सबसे प्रिय फल है. इसका प्रसाद लगाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है.

देव उठनी एकादशी पर मां लक्ष्मी को ऐसे करें प्रसन्न
मोक्ष के साथ धन लक्ष्मी की कामना रखने वाले को देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन भी दिवाली की तरह घर को साफ रखना चाहिए और पूरी रात पूजा घर में लक्ष्मी नारायण के सामने अखंड दीप जलाना चाहिए

देव उठानी एकादशी का शुभ मुहूर्त

इस साल एकादशी तिथि 14 नवम्बर सुबह 5 बजकर 48 मिनट से शुरू होकर 15 नवम्बर सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर खत्म हो रही है. 15 नवम्बर को व्रत तोड़ने का समय1 बजकर 10 बजे से 3.19 बजे तक रहेगा. पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय – रात 1.00 बजे तक है. इस दिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः “मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है.

इन 5 चीजों को नहीं खाना चाहिए
1. देवउठनी एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए. मान्यता है कि चावल को हविष्य अन्न कहा जाता है. ये देवताओं का भोजन माना गया है. ऐसे में इस दिन चावल खाने से व्यक्ति के सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं.

2. एकादशी तिथि पर जौ, मसूर की दाल, बैंगन और सेमफली को खाना भी वर्जित माना जाता है. साथ ही भोजन में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

3. एकादशी के दिन भगवान नारायण को पान अर्पित किया जाता है, ऐसे में व्यक्ति को पान नहीं खाना चाहिए.

4. इस दिन मांस, मदिरा और अन्य तीखी व मसालेदार चीजों का सेवन भी नहीं करना चाहिए. पूरी तरह सात्विक भोजन करना चाहिए.

5. देवउठनी एकादशी के दिन किसी दूसरे के घर का भोजन नहीं करना चाहिए. यहां त​क कि दूसरे के घर का पानी भी नहीं पीना चाहिए.

इन बातों का ध्यान रखना जरूरी

  • दशमी के दिन ही सूर्यास्त से पहले घर में झाड़ू लगा लें. एकादशी के दिन ​झाड़ू लगाने से परहेज करें क्योंकि झाड़ू लगाते समय भूलवश कई सूक्ष्म जीव मर जाते हैं. इसका पाप लगता है.
  • बाल, दाढ़ी व नाखून आदि काटने से परहेज करें. साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें.
  • एकादशी की रात को देर तक जागरण करके भगवान के भजन कीर्तन करें. व्रत वाले दिन भी सोएं नहीं.
  • इस दिन तुलसी का पूजन किया जाता है, ऐसे में तुलसी के पत्ते को तोड़ने की गलती न करें.
  • किसी की बुराई न करें, झूठ न बोलें और चुगली न करें. बड़े बुजुर्गों का अपमान न करें और घर में क्लेश न करें.
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