UN ने भगोड़े नित्यानंद को उल्टे पांव लौटाया, कहा- फिजूल है कैलासा का प्रस्ताव
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (UN human rights office) ने गुरुवार को साफ कहा कि भारतीय भगोड़े नित्यानंद (Nithyananda) द्वारा स्थापित किए गए तथाकथित ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा’ (United States of Kailasa-USK) के प्रतिनिधियों के पिछले हफ्ते जेनेवा (Geneva) में उसकी सार्वजनिक बैठकों में की गई कोई भी प्रस्तुति फिजूल थी और अंतिम मसौदे में उस पर विचार नहीं किया जाएगा.
अपनी दो सार्वजनिक बैठकों में तथाकथित देश ‘कैलासा’ के प्रतिनिधियों” की भागीदारी की पुष्टि करते हुए मानवाधिकार के उच्चायुक्त (ओएचसीएचआर) के ऑफिस ने कहा कि उन्हें प्रचार सामग्री बांटने से रोका गया था और उनके फिजूल भाषण पर ध्यान नहीं दिया गया.
ये ऐसी बैठक थी, जिसमें सभी के लिए रजिस्ट्रेशन कराने का दरवाजा खुला था. जिससे तथाकथित ‘कैलासा’ के लोगों को इसमें हिस्सा लेने का मौका मिल गया. ओएचसीएचआर के प्रवक्ता ने कहा कि ऐसे सार्वजनिक आयोजनों के लिए रजिस्ट्रेशन एनजीओ और आम जनता के लिए खुला होता है. कोई भी इस मंच पर अपनी जानकारी पेश कर सकता है. इनकी विश्वसनीयता के आधार पर संस्था आगे की कार्रवाई का फैसला करती है. 24 फरवरी को सामान्य चर्चा में जब मंच जनता के लिए खोला गया था, तो ‘कैलाशा’ के एक प्रतिनिधि ने संक्षिप्त रूप से बात रखी थी. उनकी बात सतही थी, इसलिए समिति उस पर विचार नहीं करेगी.
जेनेवा में भारत के स्थायी मिशन से तत्काल इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति (T S Tirumurti) ने इसे संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का पूरी तरह दुरुपयोग करार दिया. उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र की प्रक्रियाओं का पूरी तरह से दुरुपयोग है कि एक भगोड़े द्वारा चलाए जा रहे संगठन के प्रतिनिधि संयुक्त राष्ट्र की बैठक में एनजीओ या अन्य किसी रूप में हिस्सा लेते हैं. भारत यह सुनिश्चित करने के लिए एक कड़ी प्रक्रिया बनाने की अपील करता रहा है कि केवल विश्वसनीय एनजीओ को ही वहां मान्यता मिले.