सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करें क्या नहीं
जानिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करें क्या नहीं
आश्विन मास की अमावस्या को पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा. इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या (Sarva pitru Amavasya) कहते हैं. इस दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है.
पितृपक्ष का समापन इस बार आश्विन मास की अमावस्या तिथि को है. इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या (Sarva pitru Amavasya) कहा जाता है. इस दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व होता है. आइए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या के दिन क्या करें क्या नहीं.
अमावस्या पर क्या करें
1. अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पितरों का क्षाद्ध करें. इसके बाद ब्राह्माणों को घर बुलाएं और भोजन कराएं. इसके बाद दक्षिणा देकर विदा कराएं. इसके अलावा श्राद्ध का भोजन गाय, कुत्ते और कौए को भोजन कराना चाहिए.
2. पितरों को प्रसन्न करने के लिए गरीब व्यक्तियों को भोजन कराएं. ऐसा करने से घर की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है.
3. अमावस्या के दिन घर के ईशान कोण में पूजा करें और गाय के घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से आपकी सभी परेशानियां दूर जाएंगी.
भूलकर न करें ये काम
1. सर्वपितृ अमावस्या के दिन अगर कोई व्यक्ति दान- दक्षिणा लेने आता है तो उसे खाली हाथ न लौटाए. इस दिन कोई व्यक्ति आपके घर खाना मांगने आता है तो खाली पेट नहीं जान दें. ऐसे लोगों को आटा- चावल का दान करना चाहिए.
2. अमावस्या के दिन मांस- मंदिरा और प्याज लहसुन खाने से परहेज करना चाहिए. ऐसा करने से पितृदोष लगता है. इसलिए इन चीजों को नहीं खाना चाहिए.
3. सर्वपितृ अमावस्या के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए. इस दिन दाढ़ी भी नहीं बनना चाहिए. शास्त्रों में इन चीजों को करना अशुभ माना जाता है.
पितृ दोष दूर करने के लिए विशेष है अमावस्या के दिन
अक्सर कहा जाता कि अमावस्या पर पितृ दोष निवारण के लिए पूजा करने का विशेष महत्व है। लेकिन अमावस्या पर क्या किया जाए और कैसे किया जाए यह स्पष्ट रूप से कोई नहीं बताता। पाठकों के लिए हम लाए हैं अचूक और सटीक उपाय।
ऐसे करें पितृ दोष शांति :-
* अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें
* ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें।
* पितृसूक्त एवं पितृस्तोत्र का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।
* प्रत्येक संक्रांति, अमावस्या और रविवार के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें।
प्रत्येक अमावस्या के दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए।
विशेष – त्रयोदशी को नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करना, पंचमी तिथि को सर्पसूक्त पाठ, पूर्णमासी के दिन श्रीनारायण कवच का पाठ करने के बाद ब्राह्मणों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दिवंगत की पसंदीदा मिठाई तथा दक्षिणा सहितभोजन कराना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होकर पितृ दोष निवारण होता है।