सोनिया गांधी का राज्यसभा जाना, कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा राजनीतिक कदम

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कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यसभा के ज़रिए संसद जाने का बड़ा राजनीतिक फ़ैसला लिया है. राजनीति में आने के बाद से लगातार 1999 से जनता के सीधे मतों से चुनकर लोकसभा पहुँचती रही है.

ऐसे में ये सवाल उठता है कि सोनिया गांधी का अब राज्यसभा की ओर जाने के पीछे महज़ बढ़ती उम्र ही कारण है या फिर पार्टी ने राजनीतिक तौर पर सोच समझ कर ये फ़ैसला किया है.

सोनिया गांधी निर्विवाद रूप से कांग्रेस की सबसे बड़ी सर्वमान्य नेता हैं. 77 साल की उम्र और बीमारी के बावजूद वो लगातार कांग्रेस को मज़बूत करने में जुटी हुई हैं. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से विवाह और 1984 में उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भी कभी सोनिया गांधी राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं रहीं. यहाँ तक कि 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद भी सोनिया गांधी राजनीति से दूर ही रहीं.

1998 में वो कांग्रेस अध्यक्ष बनी और साल 1999 से ही लोकसभा चुनाव भी जीतती रही हैं. 1999 से 2004 तक वो लोकसभा में विपक्ष की नेता रहीं और 2004 में जब उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को जीत मिली तो उन्होंने प्रधानमंत्री पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

जाहिर है कि राजनीति में आने के बाद से सोनिया गांधी ने बेहद सक्रिय राजनीतिक जीवन जिया है. पार्टी के अच्छे बुरे समय में भी सोनिया गांधी मज़बूती के साथ जुटी रहीं और पार्टी को झंझावतों से बाहर निकाला. लेकिन अब उन्होंने लोकसभा की जगह राज्यसभा का रास्ता अख़्तियार कर लिया है. बढ़ती उम्र को देखते हुए सोनिया गांधी अब राज्यसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व करेंगी.

सोनिया गांधी के लिए राजस्थान का चयन भी काफ़ी सोच समझकर किया गया है. सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से सांसद हैं. पिछले काफ़ी समय से पार्टी पर आरोप लग रहा है कि वो दक्षिण की पार्टी बनकर रह गई है. अगर सोनिया गांधी दक्षिण भारत से राज्यसभा जाती तो ये आरोप और बलवती होता.

अब उत्तर भारत से पार्टी 3 राज्यों यानी राजस्थान, हिमाचल और मध्य प्रदेश से राज्यसभा का रास्ता खुला हुआ था. हिमाचल में संख्या बल में बीजेपी बहुत पीछे नहीं है, मध्य प्रदेश में कमलनाथ का अगला कदम क्या होगा, इस पर कुछ सवाल हाल में उठे हैं. ऐसे में राजस्थान सबसे सुरक्षित राज्य है, जहां पार्टी राज्यसभा सीट बड़े बहुमत से बिना किसी अड़चन के जीत जाएगी. राजस्थान की राज्यसभा सांसद के तौर पर उत्तर भारत के वोटरों को भी संदेश देने की कोशिश की जाएगी.

अब रायबरेली की सीट ख़ाली होने के बाद ये भी क़यास लगने लगे हैं कि क्या प्रियंका गांधी वहाँ से चुनावी अखाड़े में उतरेंगी. सूत्रों का कहना है कि प्रियंका गांधी रायबरेली या अमेठी किसी सीट से चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन अभी इस मुद्दे पर मंथन जारी है और आने वाले समय में ही इसका जवाब दिखाई देगा.

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