60 साल बाद महाशिवरात्रि पर बन रहा ये विशेष योग, भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न, जीवन में आएगी सुख-समृद्धि
भगवान शिव के भक्तों के लिए इस बार की महाशिवरात्रि काफी विशेष रहने वाली है. 26 फरवरी को इस बार जो महाशिवरात्रि आएगी, उसमें कई विशेष योग बनेंगे.
धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने लोकल 18 को बताया कि महाशिवरात्रि पर करीब साठ साल बाद दुर्लभ योग बन रहा है. इससे वर्ष 1965 के बाद यह दूसरा मौका है, जब महाशिवरात्रि 26 फरवरी को धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ योग, शकुनी करण और मकर राशि के चंद्रमा की उपस्थिति में आ रही है.
इस दिन चार प्रहर की साधना से शिव की कृपा प्राप्त होगी. यह एक विशिष्ट संयोग है, जो लगभग एक शताब्दी में एक बार बनता है. जब अन्य ग्रह और नक्षत्र इस प्रकार के योग में विद्यमान होते हैं. इस प्रबल योग में की गई साधना आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति प्रदान करती है. वर्ष 1965 में जब महाशिवरात्रि का पर्व आया था, तब सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में गोचर कर रहे थे.
कब मनाया जाता है शिवरात्रि पर्व
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसलिए, यह पर्व हर साल शिव भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन शिवजी के भक्त श्रद्धा और विश्वास के साथ व्रत रखते हैं और विधि-विधान से शिव-गौरी की पूजा करते हैं. कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ पृथ्वी पर मौजूद सभी शिवलिंग में विराजमान होते हैं, इसलिए महाशिवरात्रि के दिन की गई शिव की उपासना से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है.
शिवरात्रि पर इन बातों का ध्यान रखें
धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए. इसके अलावा कुमकुम और सिंदूर शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए. टूटे हुए बेलपत्र चढ़ाने से बचें. भगवान शिव को कभी भी नारियल का जल अर्पित ना करें. महाशिवरात्रि भगवान शिव की भक्ति और आराधना का विशेष पर्व है. इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.